राष्ट्र को आज चाणक्य की जरूरत है. बाबा रामदेव को चाणक्य बनने का प्रयास करना चाहिए न कि चन्द्रगुप्त. किन्तु चाणक्य बनने के लिए सिर्फ लक्ष्य का ध्यान होन चाहिए न कि उसके बाद मिलने वाले सम्मान का. रामदेव बाबा सम्मान की प्राप्ति का प्रयास कर रहे हैं और संभतः इसीलिए उनको सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही है.
इसमे कोई दो राय नहीं है की बाबा रामदेव भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन में परिपक्वता नहीं दिखा रहे हैं. उनके पीछे जो करोणों की संपत्ति है वो भी उनके सामाजिक कार्य में बाधा दाल रही है. उनके इरादों पे संदेह इसलिए भी होता है क्योंकि उन्होने अपने को गिरफ्तार होते समय तमाम प्रकार के नाटक किये. परन्तु ये सभी तर्क केंद्र सरकार को शांति से सोते हुई जनता तो बलपूर्वक डराने का अधिकार नहीं देते.जो भी सरकार ने रामलीला मैदान में रात को एक बजे किया, वो बेहद शर्मनाक एंड कायरता पूर्ण कदम था.
अब वो समय आ गया है जब जनता तो समझाना चाहिए के राजनितिक पार्टियां भ्रष्टाचार के विरुद्ध कुछ भी करने को तैयार नहीं हैं. हर शिक्षित और समझदार व्यक्ति को आन्दोलन का भाग बनना ही होगा , अन्यथा व्यर्थ की अंग्रेजी बहस करने का कोई फायदा नहीं है. मध्यम वर्ग समाज में सुधार तो देखना चाहता है पर इस आन्दोलन में प्रतिभागी नहीं बनना चाहता. समाज को सुधारने के लिए मध्यम वर्ग को खुद भी सुधारना होगा. हमे छोटे मोटे भ्रष्टाचार को अपनी आवश्यकता अनुसार व्यवहारिक बता के चैन की नीद सोना चाहते हैं और दूसरों के और ऊँगली उठाने में ज्यादा विशवास करते हैं. हम यदि समाज का पथ प्रदर्शक नहीं बन सकते तो क्या, अन्ना जी का समर्थन तो कर सकते हैं. हर नेता में कुछ कमियाँ होती हैं और अन्ना में भी होंगी. लोगों ने तो गाँधी जी में भी गलती निकालने के लिए शोध किये हुए हैं. किन्तु हमे इन समाज सुधारकों के बडे लक्ष्य को समर्थन देते हुए राष्ट्र निर्माण में सहयोग देना चाहिए. जय भारत !!
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